उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीधे केंद्र सरकार से किसान आंदोलन पर प्रश्न उठाया है। मंगलवार को उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधा सवाल पूछा कि आखिर लिखित वादे किए गए किसानों को क्या हुआ? उनका भाषण लंबा था, जिसके बहुत से हिस्से सोशल मीडिया पर शेयर किए गए हैं। अध्यक्ष ने कहा, “कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है।” मैं आप से पूछना चाहता हूँ कि किसान से क्या वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों पूरा नहीं हुआ? वादा को पूरा करने के लिए हम क्या कर रहे हैं?’
उसने किसान आंदोलन की निरंतरता भी पूछी। उपराष्ट्रपति ने कहा, “गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है।”क्योंकि समय बीत रहा है, हम कुछ नहीं कर रहे हैं। भारत को बदलते हुए पहली बार देखा है। विकसित भारत पहली बार हमारा लक्ष्य नहीं लक्ष्य है। भारत की लोकप्रियता दुनिया में कभी नहीं हुई थी। जब ऐसा हो रहा है, मेरा किसान क्यों परेशान है? अकेले असहाय व्यक्ति किसान है।इसके बाद वह कहते हैं कि मान लेना कि तुम भटक गए हो। हम एक खतरनाक मार्ग पर चल रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह समझ बहुत संकीर्ण है कि किसान आंदोलन केवल सड़क पर उतने लोगों का मतलब है। इस तरह नहीं है। उसने कहा कि इस देश में लाल बहादुर शास्त्री ने कहा, “जय जवान, जय किसान।” लाल बहादुर शास्त्री की कल्पना के अनुरूप हम उस जय किसान के प्रति व्यवहार करना चाहिए। और क्या जोड़ा गया? “जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान,” माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा। और बुद्धिमानी दिखाते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री ने इसे उठाया: “जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान, जय विज्ञान।”‘
लिखित में किया गया वादा क्या हुआ?
यही नहीं, उन्होंने किसानों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करने का आह्वान किया। क्या किसान से कोई वादा किया गया था? उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसान से अविलंब बातचीत होनी चाहिए और हमें जानकारी दी जाएगी। प्रधानमंत्री जी ने विश्व को बताया कि कठिन समस्याओं को वार्ता से हल किया जा सकता है। माननीय कृषि मंत्री जी, आपसे पहले कृषि मंत्री जी ने लिखित में कोई प्रतिज्ञा की थी? अगर ऐसा था, तो उसका क्या हुआ? मैं किसान से बातचीत क्यों नहीं हो रही है? वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि हम आखिरकार किसानों को उनका हक भी दे रहे हैं। रिवॉर्ड देना एक अलग बात है।
हम भी किसानों को उनका हक देने में कंजूसी कर रहे हैं क्यों?
साथ ही, उपराष्ट्रपति की ओर से कृषि मंत्री की आलोचना करने और सिर्फ सरकार पर सवाल उठाने वाले इस रुख से चर्चा हो रही है। जगदीप धनखड़ ने आखिरकार सरकार पर इतने कटु प्रश्न क्यों पूछे हैं? उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम भी अपने वादे को पूरा करने में कंजूसी कर रहे हैं। उनका कहना था कि मैंने दो दिन पहले मेरी चिंता व्यक्त की थी कि किसान आंदोलन में शामिल हैं। मैंने कृषक भाइयों से कहा कि हमें निपटारे की ओर बढ़ना चाहिए।
हम अपनों से लड़ नहीं सकते, भारत की आत्मा को चोट नहीं लग सकती।
हम अपने आप से लड़ नहीं सकते। हम यह नहीं मान सकते कि उनका पड़ाव सीमित रहेगा या वे खुद थक जाएंगे। भारत की आत्मा को परेशान नहीं करना, दिल को चोट नहीं पहुँचाना। यह परिस्थितियां कभी नहीं होंगी अगर संस्थाएं जीवंत रहतीं और योगदान देतीं। यह प्रश्न आप और हमारे सामने हैं, उन्होंने कहा। मुझे आशा की किरण दिखाई देती है। आज भारत का कृषि मंत्री एक अनुभवी व्यक्ति है।
- किसानों से संवाद क्यों नहीं करते? उपराष्ट्रपति ने मोदी सरकार पर प्रश्न उठाए - December 3, 2024
- All government expenditure is taxing Americans, according to Elon Musk’s inflation bombshell. - November 14, 2024
- Strategies, Risks, and Opportunities for Investing in Emerging Markets - November 13, 2024